Editorial : बुरा कौन है? हिन्दू या मुसलमान?

सम्पादकीय : गुजरात का मतदाता मौन है. बीजेपी आश्वस्त है. कांग्रेस में आत्मविश्वास पनप रहा है लेकिन उसमें सशक्त नेतृत्व का अभी भी अभाव दिखाई देता है. कांग्रेस के दिग्गज मन की बात भी ज़बान पर नहीं लाना चाहते. वे जानते हैं कि कांग्रेस इसबार गुजरात में पार्टी को शर्मिंदगी से बचा लेगी. पार्टी का चुनाव भी होना है जिसमें राहुल की ताजपोशी होना तय है. कांग्रेस के स्थाई पतन की यहीं से शुरुआत होना लाज़मी है. यदि पार्टी में वंशवाद ही चलाना है तो हर स्थिति में अंततः प्रियंका को शीर्ष नेतृत्व की प्रथम पंक्ति में लाना ही होगा , गुजरात के नतीजे चौंकाने वाले नहीं होंगे क्योंकि वहां विकल्प नहीं है. ---डॉ. रंजन ज़ैदी

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शनिवार, 10 जून 2017

ज़मीन पर रहने वाले बन्दों पर ज़ुल्म मत कर

      निर्दयी व्यक्ति ग़रीबों पर अत्याचार किया करता था. वह एक लकड़हारे से सस्ते
शेख सादी 
दामों पर लकड़ियां खरीदकर आगे महंगे दामों पर बेचकर काफी लाभ कमा लिया करता था. एक दिन उसी रास्ते पर एक भले आदमी का गुज़र हुआ तो उसने कहा, क्या तू सांप है? हर एक को डस लेता है. मुझे लगता है तू उल्लू है, जहां बैठता है, वहां वीरानी फैला देता है. इसका यह मतलब नहीं कि तू अगर ताक़तवर है तो कमज़ोरों पर अपनी ताक़त दिखाकर दौलत कमाए.       देख! ज़मीन पर रहने वाले बन्दों पर ज़ुल्म मत कर. तुझे नहीं मालूम, जाने कब किस दुखी बन्दे की बद्दुआ उसके दिल से निकलकर आसमानों के उसपार बैठे खुदा तक पहुंच जाये जो ताक़त भी देता है और उसे छीन लेने की ताक़त भी रखता है.
      उस निर्दयी व्यक्ति को नेक बन्दे की नसीहत पसंद नहीं आई. वह अपने गुनाहों का दलदल तैयार करता रहा. एक रात उसकी लकड़ियों के ढेर में आग लग गई. सबकुछ जलकर राख हो गया. वह अब राख पर बैठता और सो जाता था.
      एक दिन वही नेक बंदा फिर उसी रास्ते से गुज़रा और देखा कि ज़ालिम इंसान की सारी लकड़ियां राख हो चुकी हैं.