ईमारत के निर्माण के लिए बहुत सी चीज़ों की ज़रुरत होती है. जैसे पत्थर, रोड़ी, लकड़ी, लोहा, सीमेंट आदि.
ईमारत, ईंट-पत्थर गारे से बने घरौंदे का नाम नहीं है. उसे बाहर और अंदर से बिलकुल उसी तरह मज़बूत और खूबसूरत बनाया जाता है जिस तरह कुदरत इंसान के जिस्म की संरचना करती है.
जिस्म भी एक ईमारत है. इसमें हड्डियां होती हैं, पुट्ठे होते हैं और खाल भी. अंदर अनेक ऑर्गन्स होते हैं जिनका काम शरीर के भीतर की व्यस्था की निगरानी और उनका सही सञ्चालन करना होता है. हड्डियां शरीर के पिलर्स-समान होते हैं. यदि ये न हों तो शरीर गोश्त के लोथड़े जैसा हो जाये. जब ये हों तो शरीर कद्दावर इंसान की शक्ल में तब्दील हो जाता है.
क़ुदरत जब बच्चे को पैदा करती है तब उसके जिस्म में कुल 300 से अधिक हड्डियां होती हैं लेकिन जब वह बच्चा बड़ा होकर एक मज़बूत आदमी की शक्ल में सामने आता है तब उसकी हड्डियों की तादाद घटकर मात्र 206 रह जाती हैं. शेष हड्डियां उन हड्डियों के साथ घुल-मिल जाती हैं जो पहले जाल की तरह दिखाई देती थी.
आपके हर हाथ में 27 हड्डियां होती हैं. पाँव में 26 और मुंह के स्ट्रक्चर में 14 होती हैं. लम्बी हड्डी रान (जिसे थाइबोन thighbone कहा जाता है) में, जिसकी लम्बाई कुल जमा ऊँचाई के एक चौथाई होती है और यह बाढ़ के साथ बढ़ना जारी रखती है. कमाल की बात यह है कि ज़िराफ की गर्दन की हड्डियां मात्र 7 होती हैं और मनुष्य 25.4 सेंटी मीटर तक लम्बी होती रहती हैं.
की गर्दन की हड्डियां भी इतनी ही यानि 7 लेकिन ज़िराफ की गर्दन की हड्डियां
मनुष्य की खाल शरीर की ढाल की तरह का काम करती है. जिसकी औसत लम्बाई 20 स्क्वायर फुट यानि 1.9 स्क्वायर मीटर तक होती है. खाल का रंग शरीर के अंदर पाए जाने वाले मेलानिन के कारण बनता है . मनुष्य की खाल तीन परतों में होती है जिसे अंग्रेजी में एपिडेमिस, डेमिस और हाईपोडेमिस कहा जाता है. एपिडेमिस नामक खाल छिलके की तरह उतरी रहती है. डेमिस यानि बीच की खाल में खून की गश्त और पसीने के गुडूद से जुडी बालों की जड़ें शामिल होती हैं. हाईपोडेमिस का काम चर्बी की सुरक्षा करना है. यह एक तरह से शरीर भर में ऊर्जा पैदा कर उससे गर्मी बनाये रखती है.
शरीर की सबसे बारीक और नाज़ुक खाल आँख के पपोटों की होती है और सबसे मोटी खाल हथेलियों व पैरों के तलुवों की होती है.
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ईमारत, ईंट-पत्थर गारे से बने घरौंदे का नाम नहीं है. उसे बाहर और अंदर से बिलकुल उसी तरह मज़बूत और खूबसूरत बनाया जाता है जिस तरह कुदरत इंसान के जिस्म की संरचना करती है.
जिस्म भी एक ईमारत है. इसमें हड्डियां होती हैं, पुट्ठे होते हैं और खाल भी. अंदर अनेक ऑर्गन्स होते हैं जिनका काम शरीर के भीतर की व्यस्था की निगरानी और उनका सही सञ्चालन करना होता है. हड्डियां शरीर के पिलर्स-समान होते हैं. यदि ये न हों तो शरीर गोश्त के लोथड़े जैसा हो जाये. जब ये हों तो शरीर कद्दावर इंसान की शक्ल में तब्दील हो जाता है.
क़ुदरत जब बच्चे को पैदा करती है तब उसके जिस्म में कुल 300 से अधिक हड्डियां होती हैं लेकिन जब वह बच्चा बड़ा होकर एक मज़बूत आदमी की शक्ल में सामने आता है तब उसकी हड्डियों की तादाद घटकर मात्र 206 रह जाती हैं. शेष हड्डियां उन हड्डियों के साथ घुल-मिल जाती हैं जो पहले जाल की तरह दिखाई देती थी.
आपके हर हाथ में 27 हड्डियां होती हैं. पाँव में 26 और मुंह के स्ट्रक्चर में 14 होती हैं. लम्बी हड्डी रान (जिसे थाइबोन thighbone कहा जाता है) में, जिसकी लम्बाई कुल जमा ऊँचाई के एक चौथाई होती है और यह बाढ़ के साथ बढ़ना जारी रखती है. कमाल की बात यह है कि ज़िराफ की गर्दन की हड्डियां मात्र 7 होती हैं और मनुष्य 25.4 सेंटी मीटर तक लम्बी होती रहती हैं.
की गर्दन की हड्डियां भी इतनी ही यानि 7 लेकिन ज़िराफ की गर्दन की हड्डियां
मनुष्य की खाल शरीर की ढाल की तरह का काम करती है. जिसकी औसत लम्बाई 20 स्क्वायर फुट यानि 1.9 स्क्वायर मीटर तक होती है. खाल का रंग शरीर के अंदर पाए जाने वाले मेलानिन के कारण बनता है . मनुष्य की खाल तीन परतों में होती है जिसे अंग्रेजी में एपिडेमिस, डेमिस और हाईपोडेमिस कहा जाता है. एपिडेमिस नामक खाल छिलके की तरह उतरी रहती है. डेमिस यानि बीच की खाल में खून की गश्त और पसीने के गुडूद से जुडी बालों की जड़ें शामिल होती हैं. हाईपोडेमिस का काम चर्बी की सुरक्षा करना है. यह एक तरह से शरीर भर में ऊर्जा पैदा कर उससे गर्मी बनाये रखती है.
शरीर की सबसे बारीक और नाज़ुक खाल आँख के पपोटों की होती है और सबसे मोटी खाल हथेलियों व पैरों के तलुवों की होती है.
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