Editorial : बुरा कौन है? हिन्दू या मुसलमान?

सम्पादकीय : गुजरात का मतदाता मौन है. बीजेपी आश्वस्त है. कांग्रेस में आत्मविश्वास पनप रहा है लेकिन उसमें सशक्त नेतृत्व का अभी भी अभाव दिखाई देता है. कांग्रेस के दिग्गज मन की बात भी ज़बान पर नहीं लाना चाहते. वे जानते हैं कि कांग्रेस इसबार गुजरात में पार्टी को शर्मिंदगी से बचा लेगी. पार्टी का चुनाव भी होना है जिसमें राहुल की ताजपोशी होना तय है. कांग्रेस के स्थाई पतन की यहीं से शुरुआत होना लाज़मी है. यदि पार्टी में वंशवाद ही चलाना है तो हर स्थिति में अंततः प्रियंका को शीर्ष नेतृत्व की प्रथम पंक्ति में लाना ही होगा , गुजरात के नतीजे चौंकाने वाले नहीं होंगे क्योंकि वहां विकल्प नहीं है. ---डॉ. रंजन ज़ैदी

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शनिवार, 12 अगस्त 2017

राम- जन्म-भूमि मुद्दे को उछालने की कोशिशें शुरू/ डॉ. रंजन जैदी

बाबरी मस्जिद के ध्वंसावशेष 
राम- जन्म-भूमि मुद्दे को उछालने की कोशिशें शुरू..     
लखनऊ, ISP  ब्यूरो  : सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि 4 जनवरी, 2013 को विवादित बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्म भूमि मामले से सम्बंधित जो दस्तावेज़ अदालत में प्रस्तुत करने थे, वे अभी तक जमा नहीं किये गए हैं. अयोध्या मामले की सुनवाई के दौरान जस्टिस दीपक मिश्रा ने कहा कि जिस पक्ष को कोर्ट में दस्तावेज़ प्रस्तुत करने थे, नई परिस्थितियों में अब उसी  पक्ष को ही सारे दस्तावेज़ ट्रांसलेकर कोर्ट में प्रस्तुत करने होंगे. वक़्फ़ बोर्ड के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट से इस मद  के लिए 4 महीने का समय माँगा. कोर्ट ने इसे नामंज़ूर कर 5 दिसंबर की तारीख तय कर दी. कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई अब टाली नहीं जाएगी.
           उत्तर प्रदेश की ताज़ा राजनीति के बदलते तेवरों का जायज़ा लेते हुए कहा जा सकता है कि विवादित
बाबरी मस्जिद बनाम राम जन्म भूमि को लेकर शिया वक़्फ़ बोर्ड की ओर से जिस कूटनीतिक खेल की चाल का नया पत्ता फेंका गया है, वह बेहद दूरदर्शी और देश के भावी चुनाव को जीतने का यक्का साबित हो सकता है. शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी (जो कल तक समाजवादी पार्टी के महत्वपूर्ण पदाधिकार रह चुके हैं) अब बीजेपी के पाले में किस्मत का सितारा बुलंद करने के उद्देश्य से एक नई पाली खेलने के लिए पहला क़दम बढ़ा चुके हैं. शिया उलेमाओं का कहना है कि शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी द्वारा कोर्ट में प्रस्तुत किये गए हलफनामे की शरई व कानूनी हैसियत नहीं है. मजलिस ओलमाए हिन्द ने भी इस  हलफनामे  को पूरी तरह से अवैध बताया है. यह शिया-सुन्नी सम्प्रदायों के बीच दरार डालने की सोची-समझी साज़िश का हिस्सा है.     
उत्तर प्रदेश के युवा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 
       बीजेपी व उत्तर प्रदेश राज्य सरकार के पास गौ-कशी के बाद फ़िलहाल कोई नया मुद्दा नहीं था. अब मंदिर-मुद्दे को गर्म करने की कवायद राजनीति को गरमा सकती है. हलफनामे की चाल चरित्र और चेहरे ने राजनीतिक गलियारों चर्चा तेज़ कर दी कि अब शिया-सुन्नी आपस में भिड़ जायेंगे. सपना देखा जाने लगा कि अब लखनऊ फिर वर्षों बाद सांप्रदायिक दंगों का ऐतिहासिक शहर बन जायेगा. लेकिन देश भर के उलेमाओं ने देर किये बग़ैर सारी दुनिया को यह सन्देश दे दिया कि शिया-सुन्नी अब एक हैं, और आगे भी एक रहेंगे.
        नए मुद्दे के अंतर्गत देश की राजधानी दिल्ली के २ लाख से अधिक शियाओं में भी खलभली मच गई थी  साज़िश कामियाब हो जाती तो सर फुटव्वल शुरू हो जाता. देश के उलेमाओं ने धुंध को साफ करते हुए कहा कि शिया वक़्फ़ बोर्ड शिया समुदाय के हितों का रक्षक नहीं बन सकता, न ही उसका प्रतिनिधित्व कर सकता है. मजलिसे ओलमाए हिन्द ने भी अपने जारी बयान में कहा है कि यह दो समुदायों को परस्पर लड़ाने की साज़िश है जिसे दोनों समुदायों ने नाकाम कर दिया है.     
      किस्सा यह कि अदालत में शिया वक़्फ़ बोर्ड ने हलफनामा दाखिल कर एक नए विवाद के
दरवाज़े पर दस्तक दे दी है. इस घटना के बाद देश के लगभग 5 करोड़ शिया समुदाय के लोग शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी से बुरी तरह से नाराज़ हैं. जाने-माने युवा खतीब और शिया दानिश्वर डाक्टर मौलाना शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ ने इंडियन शिया पॉइंट से बात करते हुए कहा कि बाबरी मस्लिद के मुद्दे की आड़ में शिया वक़्फ़ बोर्ड के अध्यक्ष वसीम रिज़वी ऐसा कर अपनी खतरे में पड़ी कुर्सी को बचाना चाहते हैं. उन्होंने वेबसाइट को बताया कि वसीम रिज़वी के विरुद्ध भ्रष्टाचार के अनेक संगीन मामले कोर्ट में विचाराधीन हैं और सीबीआई कई मामलों में संगीन जाँच कर रही है. मजलिसे ओलमाए हिन्द का मानना था कि शिया वक़्फ़ बोर्ड का वर्तमान अध्यक्ष अनेक वर्षों से वक़्फ़ की ज़मीनें अवैध रूप से बेचता और अपने हितों को साधते रहने के उद्देश्य से समाजवादी पार्टी के नेताओं को खुश करता आ
विरोध के स्वर : मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी 
रहा था. संस्था के अनुसार वही रवैय्या वह अब भी अपनाते हुए भ्रष्टाचार की जड़ों को काली कमाई से सींचता आ रहा है.
 इस सम्बन्ध में मौलाना कल्बे जव्वाद नक़वी हलफनामे के नेतृत्व में अनेक बार लिखित व जुलूस की सूरत में सड़कों पर विरोध के रूप में मार्च भी निकला गया किन न तो समाजवादी पार्टी के कानों में गर्म तेल पहुंचा और न ही उत्तर प्रदेश के वर्तमान मुख्य मंत्री के सिहासन को किसी तरह की जुम्बिश हुई.
      उलेमाओं का कहना है कि कानूनी तौर पर वक़्फ़ बोर्ड सम्पूर्ण भारतीय शिया समुदाय का प्रतिनिधित्व करने का अधिकारी नहीं है. अधिकार क्षेत्र को लेकर छठे दशक में शिया समुदाय बाबरी मस्जिद की मिलकियत को लेकर कोर्ट द्वारा खुद को दावे से अलग कर चुका है, जिसे पुनः संज्ञान में लाना न्यायलय की सरासर अवमानना होगी.
'इंडियन शिया पॉइंट' (न्यूज़ वेब) द्वारा जारी.
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