प्रतिक्रिया :इरफ़ान सिद्दीकी, शख्स और शाईर....डॉ. रंजन ज़ैदी
इरफ़ान सिद्दीकी नई उर्दू ग़ज़ल का वह प्रतिष्ठित नाम है जिसने राह से भटक जाने वाली उर्दू ग़ज़ल को न केवल उसकी मौलिक छंदात्मक काव्य-धारा से साक्षात्कार कराया बल्कि अपनी रचनात्मक प्रतिभा के द्वारा ग़ज़ल के मौलिक तत्वों से नई पहचान कराई. इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी की तत्काल स्वीकृति और समकालीन बड़े शाइरों में पहली पंक्ति तक पहुँच जाने के बावजूद उस दुखद छद्मवेशियों के संकुचित व्यवहार की उपेक्षा नहीं की जा सकती जिनमें नामवर आलोचकों का ज़िक्र हुआ करता है. जिन्होंने इरफ़ान के जीवन में उनपर कुछ लिखने का प्रयास नहीं किया और न ही उनके देहावसान के बाद उनकी शाइरी पर कुछ लिखने का कष्ट किया.
अत्यंत प्रसन्नता की बात यह है कि जो काम साहित्य के बड़े आलोचलोन से न हो सका उसे अदब के एक युवा और प्रतिभाशाली छात्र ने बड़ी शालीनता और योग्यता के साथ न केवल कर दिखाया बल्कि इरफ़ान सिद्दीकी पर कलम उठाकर उस साहित्यिक दायित्व का भी निर्वाह कर दिया जिसे प्रबुद्ध साहित्यिक आलोचकों को करना चाहिए था. मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ मेरी नज़र में उस समय आये जब वह एम् ए (उर्दू) के छात्र के रूप में मेरे विभाग प्रवेश किया, और विभग की साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया. तब यह रहस्योद्घाटन हुआ कि मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ न केवल इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी के परमभक्त हैं बल्कि एक श्रोता की तरह स्थाई रूप से वह उनसे उनकी शाइरी साक्षात् सुनते भी रहते हैं और उनकी शाइरी की खूबियों के साथ उसमें से साहितियिक सौंदर्यता के प्रतीक शब्दों के माणिक-मोती चुनते रहते हैं.
इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी में उनकी रूचि देखकर मैंने उन्हें मशविरा दिया कि वह एम् ए के संक्षिप्त शोध प्रबंध के लिए इरफ़ान सिद्दीकी का चयन करें. मिर्ज़ा शफ़ीक़ ने सहर्ष मेरे सुझाव को मानते हुए पूरे परिश्रम व पूरी लगनशीलता के साथ इरफ़ान सिद्दीकी के 'व्यक्तित्व और कला' पर पांच अध्याय में विस्तृत एक ऐसा शोध-प्रबंध तैयार किया जिसे निर्विवाद रूप से इरफ़ान सिद्दीकी कीअविस्मरणीय पहचान के रास्ते का पहला चरण माना जायेगा
. मिर्ज़ा शफ़ीक़ अभी युवा हैं लेकिन उन्होंने इरफ़ान सिद्दीकी पर जो कुछ लिखा हैं, वह न केवल उर्दू की काव्यात्मक आलोचना के लिए उपयोगी है बल्कि इरफ़ान के सुधी पाठकों के लिए वरदान है. मिर्ज़ा शफीक् हुसैन की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि उन्होंने इरफ़ान की शाइरी और उनके सुधी पाठकों-प्रशंसकों के बीच शोध के माध्यम से संवाद करने और उनकी शायरी को पहचानने का एक सुनहरी अवसर उपलब्ध करा दिया है जो लखनऊ के निवासियों को भी प्रेरणा प्रदान करेगा.
यही इस शोध प्रबंध की महत्वपूर्ण विशेषता है. इरफ़ान सिद्दीकी नई उर्दू ग़ज़ल का वह प्रतिष्ठित नाम है जिसने राह से भटक जाने वाली उर्दू ग़ज़ल को न केवल उसकी मौलिक छंदात्मक काव्य-धारा से साक्षात्कार कराया बल्कि अपनी रचनात्मक प्रतिभा के द्वारा ग़ज़ल के मौलिक तत्वों से नई पहचान कराई. इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी की तत्काल स्वीकृति और समकालीन बड़े शाइरों में पहली पंक्ति तक पहुँच जाने के बावजूद उस दुखद छद्मवेशियों के संकुचित व्यवहार की उपेक्षा नहीं की जा सकती जिनमें नामवर आलोचकों का ज़िक्र हुआ करता है. जिन्होंने इरफ़ान के जीवन में उनपर कुछ लिखने का प्रयास नहीं किया और न ही उनके देहावसान के बाद उनकी शाइरी पर कुछ लिखने का कष्ट किया.
अत्यंत प्रसन्नता की बात यह है कि जो काम साहित्य के बड़े आलोचलोन से न हो सका उसे अदब के एक युवा और प्रतिभाशाली छात्र ने बड़ी शालीनता और योग्यता के साथ न केवल कर दिखाया बल्कि इरफ़ान सिद्दीकी पर कलम उठाकर उस साहित्यिक दायित्व का भी निर्वाह कर दिया जिसे प्रबुद्ध साहित्यिक आलोचकों को करना चाहिए था. मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ मेरी नज़र में उस समय आये जब वह एम् ए (उर्दू) के छात्र के रूप में मेरे विभाग प्रवेश किया, और विभग की साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया. तब यह रहस्योद्घाटन हुआ कि मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ न केवल इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी के परमभक्त हैं बल्कि एक श्रोता की तरह स्थाई रूप से वह उनसे उनकी शाइरी साक्षात् सुनते भी रहते हैं और उनकी शाइरी की खूबियों के साथ उसमें से साहितियिक सौंदर्यता के प्रतीक शब्दों के माणिक-मोती चुनते रहते हैं.
इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी में उनकी रूचि देखकर मैंने उन्हें मशविरा दिया कि वह एम् ए के संक्षिप्त शोध प्रबंध के लिए इरफ़ान सिद्दीकी का चयन करें. मिर्ज़ा शफ़ीक़ ने सहर्ष मेरे सुझाव को मानते हुए पूरे परिश्रम व पूरी लगनशीलता के साथ इरफ़ान सिद्दीकी के 'व्यक्तित्व और कला' पर पांच अध्याय में विस्तृत एक ऐसा शोध-प्रबंध तैयार किया जिसे निर्विवाद रूप से इरफ़ान सिद्दीकी कीअविस्मरणीय पहचान के रास्ते का पहला चरण माना जायेगा.
मिर्ज़ा शफ़ीक़ अभी युवा हैं लेकिन उन्होंने इरफ़ान सिद्दीकी पर जो कुछ लिखा हैं, वह न केवल उर्दू की काव्यात्मक आलोचना के लिए उपयोगी है बल्कि इरफ़ान के सुधी पाठकों के लिए वरदान है. मिर्ज़ा शफीक् हुसैन की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि उन्होंने इरफ़ान की शाइरी और उनके सुधी पाठकों-प्रशंसकों के बीच शोध के माध्यम से संवाद करने और उनकी शायरी को पहचानने का एक सुनहरी अवसर उपलब्ध करा दिया है जो लखनऊ के निवासियों को भी प्रेरणा प्रदान करेगा. यही इस शोध प्रबंध की महत्वपूर्ण विशेषता है.
अत्यंत प्रसन्नता की बात यह है कि जो काम साहित्य के बड़े आलोचलोन से न हो सका उसे अदब के एक युवा और प्रतिभाशाली छात्र ने बड़ी शालीनता और योग्यता के साथ न केवल कर दिखाया बल्कि इरफ़ान सिद्दीकी पर कलम उठाकर उस साहित्यिक दायित्व का भी निर्वाह कर दिया जिसे प्रबुद्ध साहित्यिक आलोचकों को करना चाहिए था. मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ मेरी नज़र में उस समय आये जब वह एम् ए (उर्दू) के छात्र के रूप में मेरे विभाग प्रवेश किया, और विभग की साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया. तब यह रहस्योद्घाटन हुआ कि मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ न केवल इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी के परमभक्त हैं बल्कि एक श्रोता की तरह स्थाई रूप से वह उनसे उनकी शाइरी साक्षात् सुनते भी रहते हैं और उनकी शाइरी की खूबियों के साथ उसमें से साहितियिक सौंदर्यता के प्रतीक शब्दों के माणिक-मोती चुनते रहते हैं.
इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी में उनकी रूचि देखकर मैंने उन्हें मशविरा दिया कि वह एम् ए के संक्षिप्त शोध प्रबंध के लिए इरफ़ान सिद्दीकी का चयन करें. मिर्ज़ा शफ़ीक़ ने सहर्ष मेरे सुझाव को मानते हुए पूरे परिश्रम व पूरी लगनशीलता के साथ इरफ़ान सिद्दीकी के 'व्यक्तित्व और कला' पर पांच अध्याय में विस्तृत एक ऐसा शोध-प्रबंध तैयार किया जिसे निर्विवाद रूप से इरफ़ान सिद्दीकी कीअविस्मरणीय पहचान के रास्ते का पहला चरण माना जायेगा
. मिर्ज़ा शफ़ीक़ अभी युवा हैं लेकिन उन्होंने इरफ़ान सिद्दीकी पर जो कुछ लिखा हैं, वह न केवल उर्दू की काव्यात्मक आलोचना के लिए उपयोगी है बल्कि इरफ़ान के सुधी पाठकों के लिए वरदान है. मिर्ज़ा शफीक् हुसैन की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि उन्होंने इरफ़ान की शाइरी और उनके सुधी पाठकों-प्रशंसकों के बीच शोध के माध्यम से संवाद करने और उनकी शायरी को पहचानने का एक सुनहरी अवसर उपलब्ध करा दिया है जो लखनऊ के निवासियों को भी प्रेरणा प्रदान करेगा.
यही इस शोध प्रबंध की महत्वपूर्ण विशेषता है. इरफ़ान सिद्दीकी नई उर्दू ग़ज़ल का वह प्रतिष्ठित नाम है जिसने राह से भटक जाने वाली उर्दू ग़ज़ल को न केवल उसकी मौलिक छंदात्मक काव्य-धारा से साक्षात्कार कराया बल्कि अपनी रचनात्मक प्रतिभा के द्वारा ग़ज़ल के मौलिक तत्वों से नई पहचान कराई. इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी की तत्काल स्वीकृति और समकालीन बड़े शाइरों में पहली पंक्ति तक पहुँच जाने के बावजूद उस दुखद छद्मवेशियों के संकुचित व्यवहार की उपेक्षा नहीं की जा सकती जिनमें नामवर आलोचकों का ज़िक्र हुआ करता है. जिन्होंने इरफ़ान के जीवन में उनपर कुछ लिखने का प्रयास नहीं किया और न ही उनके देहावसान के बाद उनकी शाइरी पर कुछ लिखने का कष्ट किया.
अत्यंत प्रसन्नता की बात यह है कि जो काम साहित्य के बड़े आलोचलोन से न हो सका उसे अदब के एक युवा और प्रतिभाशाली छात्र ने बड़ी शालीनता और योग्यता के साथ न केवल कर दिखाया बल्कि इरफ़ान सिद्दीकी पर कलम उठाकर उस साहित्यिक दायित्व का भी निर्वाह कर दिया जिसे प्रबुद्ध साहित्यिक आलोचकों को करना चाहिए था. मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ मेरी नज़र में उस समय आये जब वह एम् ए (उर्दू) के छात्र के रूप में मेरे विभाग प्रवेश किया, और विभग की साहित्यिक गतिविधियों में भाग लेना शुरू किया. तब यह रहस्योद्घाटन हुआ कि मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन शफ़क़ न केवल इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी के परमभक्त हैं बल्कि एक श्रोता की तरह स्थाई रूप से वह उनसे उनकी शाइरी साक्षात् सुनते भी रहते हैं और उनकी शाइरी की खूबियों के साथ उसमें से साहितियिक सौंदर्यता के प्रतीक शब्दों के माणिक-मोती चुनते रहते हैं.
इरफ़ान सिद्दीकी की शाइरी में उनकी रूचि देखकर मैंने उन्हें मशविरा दिया कि वह एम् ए के संक्षिप्त शोध प्रबंध के लिए इरफ़ान सिद्दीकी का चयन करें. मिर्ज़ा शफ़ीक़ ने सहर्ष मेरे सुझाव को मानते हुए पूरे परिश्रम व पूरी लगनशीलता के साथ इरफ़ान सिद्दीकी के 'व्यक्तित्व और कला' पर पांच अध्याय में विस्तृत एक ऐसा शोध-प्रबंध तैयार किया जिसे निर्विवाद रूप से इरफ़ान सिद्दीकी कीअविस्मरणीय पहचान के रास्ते का पहला चरण माना जायेगा.
मिर्ज़ा शफ़ीक़ अभी युवा हैं लेकिन उन्होंने इरफ़ान सिद्दीकी पर जो कुछ लिखा हैं, वह न केवल उर्दू की काव्यात्मक आलोचना के लिए उपयोगी है बल्कि इरफ़ान के सुधी पाठकों के लिए वरदान है. मिर्ज़ा शफीक् हुसैन की महत्वपूर्ण उपलब्धि यह है कि उन्होंने इरफ़ान की शाइरी और उनके सुधी पाठकों-प्रशंसकों के बीच शोध के माध्यम से संवाद करने और उनकी शायरी को पहचानने का एक सुनहरी अवसर उपलब्ध करा दिया है जो लखनऊ के निवासियों को भी प्रेरणा प्रदान करेगा. यही इस शोध प्रबंध की महत्वपूर्ण विशेषता है.
पुस्तक :इरफ़ान सिद्दीकी , शख्स और शाईर --प्रोफ़ेसर अनीस अशफ़ाक़, लखनऊ भाषा : उर्दू,
लेखक : डॉ. मिर्ज़ा शफ़ीक़ हुसैन 'शफ़क़'
प्रकाशक : एजुकेशनल पब्लिशिंग हॉउस, दिल्ली.
ISBN : 978-81-8223-427-7
पृष्ठ : 240 facebook.com/ranjanzaidi786
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